देश के सभी भागो में दलितों के साथ जातिगत अपराध और छुआछूत की घटनाएं होती हैं लेकिन देश के कुछ इलाके ऐसे हैं जहा आज़ादी के 60 साल वाद भी दलितों की स्तिथि बेहद ख़राब हैं। बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों में फैला हुआ हैं। दोनों राज्यों में सरकार अलग अलग हैं लेकिन दलितों के साथ अपराधो के मामले में दोनों राज्य एक सामान हैं।
बुंदेलखंड देश के ऐसे इलाको में से एक हैं जहा पर दलितों के साथ हो रहे अपराधों के बारें में सुन कर किसी की भी रूह काँप जायेगी। इनमें से कुछ जघन्य अपराधो के बारें में में यहाँ लिखुगा जिससे बुंदेलखंड में दलितों के नारकीय जीवन के बारें में पता चलेगा।
साथ खाना खा लिया तो नाक ही काट डाली
यह घटना जालौन जिले के सुरपति गाव की हैं। एक दलित व्यक्ति अपने मालिक के साथ में एक बारात में चला गया था और वहा उसने ऊँची जाती के लोगो के साथ खाना खाने का अपराध कर दिया था। दबंगों का कहना था कि दलित ने साथ में खाना खा लिया, इससे समाज में उनकी नाक कट गई। परिणामस्वरूप उसे वापस लौटने पर नाक काटने के सजा दी गयी। अपराधी एक राजनैतिक फैमिली से जुड़े हुए हैं तो मामले में सजा नहीं हुई।
दलित पानी न पी सके इसलिए हैंडपंप को ताला लगाया
बुंदेलखंड के बांदा जिले में दलितों से पानी पीने का हक भी छीना जा रहा है। उनके घरों के पास लगे सरकारी हैंडपंप में ताला लगा दिया गया है। चाबियां सवर्ण अपने पास रखते हैं। खुद पानी लेने के बाद फिर ताला डाल देते हैं।
बांदा के नरैनी के गांव गुढ़ा कलां में भी दलित पानी के लिए भटकते हैं। यहां हैंडपंप पर ताला तो नहीं डाला गया है, लेकिन इसे छूने की इजाजत नहीं। सवर्ण दूर से ही दलितों के बर्तनों में पानी उड़ेल देते हैं। यहां भी कई बार नदी-नालों का पानी पीकर रहना पड़ता है।
नाई दलितों की शेविंग नहीं करते!
बुंदलेखंड के हमीरपुर में कई इलाके ऐसे हैं, जहां नाई दलितों की शेविंग तक नहीं करते। लोग सेविंग और वाल कटवाने भी पहचान छुपा कर पास के गावो में जाने को मज़बूर हैं। यही नहीं दलित लोग ऊँची जाती के लोगो के घरो के सामने निकलते वक़्त अपने जूते और चप्पल अपने सर पर रखकर चलना पड़ता हैं।
दलित को मलमूत्र खिलाया
झांसी में एक दलित व्यक्ति ने सवर्णों के बगल में प्लॉट खरीदने की हिमाकत क्या करदी के उसे दबंगों ने मलमूत्र खिला दिया था। दरिंदो की दरिंदगी यही नहीं रुकी आरोपियों ने दलित व्यक्ति के प्राइवेट पार्ट्स पर पेट्रोल छिड़ककर उसकी नाक पर सिगरेट रगड़ दी थी।
में यहाँ सिर्फ कुछ ही मामलो के उल्लेख कर पाया हूँ बुंदेलखंड में ऐसी घटनाए रोज़ होती हैं। इनसभी को पढ़कर लगता हैं के आज़ादी के 70 साल वाद भी इस क्षेत्र में सामंती व्यस्था कायम हैं।
ऐसे मामलों की वजह से एससी एसटी कमीशन ने बुंदलेखंड को दलितों के लिए संवेदनशील घोषित किया हुआ है।
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References :
- http://www.dnaindia.com/india/report-dalit-man-s-nose-cut-off-for-breaking-bread-with-upper-castes-2061641
- http://www.bhaskar.com/
very interesting , good job and thanks for sharing such a valuable topic.
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