रोहित वेमुला आप जरूर मर गए,
लेकिन अपनी बात बहरों को सुना कर गये।
देश की आत्मा को जगाकर गये।।
लोग धर्म, जाति, भाषा, प्रांत, लिंग से ऊपर उठ कर सुर के साथ सुर बुलंद कर रहे हैं। नाखुशी जाहिर कर रहें। शायद आपकी मौत वक़्त को बदल रही हैं। एकता दिख रही हैं।।
रोहित ने आत्महत्या नही की,उसे हमारी सन्कीर्ण मानसिकता वाली व्यवस्थाओं ने मार डाला।।
भाई रोहित, ऐसी भी क्या जल्दी थी,
सितारे ही तुम्हारी दुनिया थे तो क्या हुआ
किसने रोका था तुम्हे उनसे मिलने से ?
पर इस तरह तुम्हारा जाना कुछ अच्छा नहीं लगा I
कुछ बातें थीं, जो तुम्हें बतानी थी
और कुछ तुमसे सुननी थी I।
पर छोड़ो,
अब क्या फायदा ?
पर एक बात कह देना चाहता हूँ -
कि तुम लाख छुपाओ पर हम सभी जानते हैं
तुम्हारी हत्या तो उसी दिन हो गयी थी
जिस दिन तुम्हारा निष्कासन हुआ था I
इतने दिनों तक तो तुम सिर्फ अपनी लाश ढो रहे थे I
अम्बेडकर का चित्र बगल में दबाये
जब तुम धीरे –धीरे निकल रहे थे उसी दिन,
इस देश से बहुत कुछ निकल गया था I
संविधान और लोकतंत्र बस किस्से भर रह गए थे I
एक बात और,
तुम झूठ क्यों बोलते हो
कि तुमने खुद को मारा ?
पूरी दुनिया जानती है
तुम्हारी हत्या हुई है I
तुम्हारा ये झूठ,
बख्श देगा उन केचुओं को और कुछ उम्र
बडा देगा और निर्लज्ज भीI।
खैर, तुमने जो तमाचा मारा है
इन बहुरूपियों के मुँह पर,
उसकी गूँज सुनाई देगी सालों –साल,हजारों साल I
और इनको मजबूर कर देगी
तुम्हारा निष्कासन वापस करने को I
अलविदा रोहित , अलविदा !!!
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