झाँसी में छुआछूत से पीड़ित दलितों की मदद को सामने आया NGO 'केवट'
Indian
सोमवार, अगस्त 03, 2015
Atrocities on Dalits
,
crime against dalits
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dalits not allowed on well
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dalits of up
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untouchability
,
untouchability in india
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उत्तर प्रदेश के झांसी जिले से लगभग 20 किलोमीटर दूर रक्सा इलाके के बाजना गांव में रहने वाले दलितों की मदद के लिए लोग आगे आने लगे हैं। रविवार को दलितों की मदद के लिए एक समाजसेवी संस्था गांव पहुंची। स्थानीय लोगों ने पानी की छुआछूत के कारण उपजी पानी की समस्या को खत्म करने की मांग की। वहीं, चमराय टोला के नाम से जानी जाने वाली दलित बस्ती का नाम बदलने की भी मांग की। दलितों का कहना है कि यह जाति सूचक शब्द है, इसे हर हाल में बदला जाना चाहिए। ```
बता दें कि यह वही गांव है, जहां लोग छुआछूत जैसी समस्या का शिकार हैं। यहां दलित गांव के कुएं से पानी नहीं भर सकते। इससे गांव के दलित गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। रविवार को गांव में समाजसेवी संस्था 'केवट' मदद के लिए पहुंची और संस्था की संचालिका कंचन आहूजा ने दलितों की समस्याएं सुनीं। उन्होंने पानी की समस्या को खत्म करने के लिए हैंडपंप लगवाने और कुआं खुदवाने का आश्वासन दिया। आहूजा ने कहा कि उनकी संस्था इस पर विचार करेगी और गांव को गोद भी ले सकती है। छुआछूत जैसी सामाजिक बीमारी से निपटने के लिए केवट संस्था गांव में कैंप लगाएगी। संस्था द्वारा लगाए जाने वाले इस कैंप में गांव के उच्च जाति के उन लोगों को भी शामिल किया जाएगा जो दलितों को अछूत मानते हैं।
बाजना की दलित बस्ती को चमराय टोला के नाम से जाना जाता है। दलितों ने गांव के नाम को बदले जाने की भी मांग की है। स्थानीय निवासी गनपत का कहना है कि यह जाति सूचक शब्द है। जाति सूचक शब्द एक तरह से गाली है, इसके बाद भी दलितों के इलाकों को आधिकारिक रूप से चमराय टोला के नाम से जाना जाता है। संस्था ने गांव की इन समस्याओं को खत्म करने का आश्वासन दिया है।
>>>Source: दैनिक जागरण
बता दें कि यह वही गांव है, जहां लोग छुआछूत जैसी समस्या का शिकार हैं। यहां दलित गांव के कुएं से पानी नहीं भर सकते। इससे गांव के दलित गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। रविवार को गांव में समाजसेवी संस्था 'केवट' मदद के लिए पहुंची और संस्था की संचालिका कंचन आहूजा ने दलितों की समस्याएं सुनीं। उन्होंने पानी की समस्या को खत्म करने के लिए हैंडपंप लगवाने और कुआं खुदवाने का आश्वासन दिया। आहूजा ने कहा कि उनकी संस्था इस पर विचार करेगी और गांव को गोद भी ले सकती है। छुआछूत जैसी सामाजिक बीमारी से निपटने के लिए केवट संस्था गांव में कैंप लगाएगी। संस्था द्वारा लगाए जाने वाले इस कैंप में गांव के उच्च जाति के उन लोगों को भी शामिल किया जाएगा जो दलितों को अछूत मानते हैं।
बाजना की दलित बस्ती को चमराय टोला के नाम से जाना जाता है। दलितों ने गांव के नाम को बदले जाने की भी मांग की है। स्थानीय निवासी गनपत का कहना है कि यह जाति सूचक शब्द है। जाति सूचक शब्द एक तरह से गाली है, इसके बाद भी दलितों के इलाकों को आधिकारिक रूप से चमराय टोला के नाम से जाना जाता है। संस्था ने गांव की इन समस्याओं को खत्म करने का आश्वासन दिया है।
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