आरक्षण का लाभ लेकर प्रोन्नत हुए दो लाख राज्य कर्मचारियों को डिमोट करने पर लगी हाई कोर्ट की रोक हटाने की मांग करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया है। सरकार ने कोर्ट में दाखिल किए गए अपने प्रतिशपथ पत्र में कहा है कि लोकसभा में लंबित पदोन्नति संबंधी बिल के कारण उनके लिए एम. नागराज केस को लागू करना मुश्किल हो रहा है।
अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग असोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राकेश तिवारी और जस्टिस मुख्तार अहमद की कोर्ट ने पिछले दिनों दलित कर्मचारियों की रिवर्ट प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए सरकार से 3 हफ्ते में प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया था। इसी क्रम में सरकार ने 12 अगस्त को कोर्ट में में एक प्रतिशपथ पत्र दाखिल कर पदावनत (रिवर्शन) प्रक्रिया पर लगाई गई अन्तरिम रोक को हटाने का अनुरोध किया गया है।
सरकार ने अपने प्रतिशपथ पत्र में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ द्वारा एम. नागराज केस में दिए गए निर्णय दक्षता, प्रतिनिधित्व व पिछड़ेपन का आंकड़ा एकत्र कर दलित कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ देने के निर्णय को लागू करने में असमर्थता व्यक्त करते हुए यह कहा है कि आरक्षण संवैधानिक संशोधन बिल लोकसभा में लम्बित है, इसलिए एम नागराज केस का लाभ फिलहाल दलित कार्मिकों को नहीं दिया जा सकता।
>>>Source: http://navbharattimes.indiatimes.com
अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग असोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राकेश तिवारी और जस्टिस मुख्तार अहमद की कोर्ट ने पिछले दिनों दलित कर्मचारियों की रिवर्ट प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए सरकार से 3 हफ्ते में प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया था। इसी क्रम में सरकार ने 12 अगस्त को कोर्ट में में एक प्रतिशपथ पत्र दाखिल कर पदावनत (रिवर्शन) प्रक्रिया पर लगाई गई अन्तरिम रोक को हटाने का अनुरोध किया गया है।
सरकार ने अपने प्रतिशपथ पत्र में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ द्वारा एम. नागराज केस में दिए गए निर्णय दक्षता, प्रतिनिधित्व व पिछड़ेपन का आंकड़ा एकत्र कर दलित कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ देने के निर्णय को लागू करने में असमर्थता व्यक्त करते हुए यह कहा है कि आरक्षण संवैधानिक संशोधन बिल लोकसभा में लम्बित है, इसलिए एम नागराज केस का लाभ फिलहाल दलित कार्मिकों को नहीं दिया जा सकता।
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