मंदिरो में दलितों को प्रवेश न करने देने और उन्हें पूजा से रोकने के बारे में में पहले भी अपने ब्लॉग पे लिख चूका हू। कुछ दिन पहले हिमाचल प्रदेश में ब्राह्मणो ने दलितों को एक मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया था। दक्षिण भारत में तो ऐसी घटनाएँ आम बात हैं। देश आजादी की 68वीं सालगिरह मानाने जा रहा हैं लेकिन इतने साल बाद भी ये कुप्रथाएं प्रचलित है जो की देश के लिए शर्म की बात हैं।
दलितों को मंदिर में प्रवेश ना करने देने का एक मामला राजस्थान में सामने आया हैं। जयपुर के विधाधर नगर इलाके में एक दलित महिला को पुजारियों ने मंदिर में पूजा करने से रोक दिया। दरअसल, इंद्रा डारू नाम की ये महिला विधाधर नगर इलाके में स्थित निगम के पार्क में बने तत्कालेष्वर महादेव मंदिर में पूजा करने गई थी।
महिला का आरोप है कि मंदिर के पूजारियों ने उससे जाति पूछी जिसके जवाब में उसने खुद को दलित होना बताया। इस पर पुजारियों ने उस महिला को पूजा करने से मना कर दिया। जानकारी के मुताबिक़ ये महिला कस्टम विभाग में एलडीसी के पद पर कार्यरत है। मामले का पता चलने पर वालमिकी समाज में आक्रोष फैल गया।
खबर फैलने के बाद वालमिकी समाज के लोग बड़ी संख्या में एकजुट होकर मंदिर पहुँच गए। समाज के लोगों ने पहले तो पुजारियों को जमकर खरी कोटी सुनाई और फिर बाद में दलित महिला को मंदिर में पूजा करवाई। इसके बाद महिला ने आरोपी पुजारियों के खिलाफ विधाधर नगर थाने में मामला दर्ज कराया। पुलिस ने मामला दर्ज जांच शुरू कर दी है।
देश में नयी सरकार आने के बाद से धार्मिक कट्टरता बढ़ी हैं और साथ में इस तरह की जातिगत छुआछूत की घटनाओ में भी बृद्धि हो रही हैं। इस से पहले राजस्थान के मुख्य मंत्री श्री अशोक गहलोत, जो खुद एक माली जाती से हैं, के कार्यकाल में राज्य में ऐसी घटनाएँ नहीं होती थी। इसी तरह की घटनाओ से तंग आ कर दलित अपना धर्म बदलते हैं उसके बाद हिन्दू धर्म के ठेकेदार हरकत में आते हैं।
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