विदिशा में दलित बच्चों को स्कूल में प्रवेश देने से हेडमास्टर का इनकार
Indian
बुधवार, जुलाई 01, 2015
caste discrimination
,
dalit children
,
dalit childs
,
discrimination against dalits
,
vidisha dalits
कोई टिप्पणी नहीं
एक ओर सरकार द्वार स्कूलों में प्रवेश बढ़ाने के लिए स्कूल चलें हम अभियान चलाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में ही दलित और आदिवासी बच्चों को एडमिशन देने से ही मना किया जा रहा है। इसी तरह का मामला मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के पठारी और गुलाबगंज मिडिल स्कूलों में शनिवार को सामने आया है। जहां आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावास में रहने वाले बच्चों को एडमिशन नहीं दिया जा रहा है।
पठारी शासकीय आदिवासी बालक छात्रावास के अधीक्षक चंद्रमोहन साहू अपने साथ हास्टल के आदिवासी बच्चों को छठवीं में एडमिशन कराने के लिए जब शासकीय मिडिल स्कूल पठारी पहुंचे तो वे उस समय सन्न् रह गए जब गरीब आदिवासी बच्चों को ये कहकर एडमिशन नहीं दिया गया कि बच्चों की उपस्थिति कम रहती है, इससे स्कूल में परेशानी होती है। उन्होंने जब स्कूल के हेड मास्टर जगदीश श्रीवास्तव को इसकी शिकायत की तो उन्होंने भी यही जवाब दिया।
स्कूल से परेशान होकर वे अपने साथ एडमिशन के लिए ले गए 9-10 बच्चों को वापस ले आए और इसकी सूचना आदिम जाति विभाग के जिला संयोजक विवेक पांडे को दे दी। हास्टल अधीक्षक साहू का कहना है कि जब बच्चों को एडमिशन ही नहीं दिया जा रहा है तो स्कूल और हास्टल खोलने का कोई औचित्य ही नहीं है। वहीं इस संबंध में स्कूल के हेड मास्टर जगदीश श्रीवास्तव का कहना है कि बच्चों की अनुपस्थिति का खामियाजा उन्हें उठाना पड़ता है। बच्चे लगातार अनुपस्थित रहते हैं। इसलिए उन्हें एडमिशन नहीं दिया गया है।
दलित बेटियों को भी नहीं दिया प्रवेश
दूसरा मामला गुलाबगंज मिडिल स्कूल का है। यहां पर दलित वर्ग की छात्राओं को एडमिशन देने से इनकार कर दिया है। यहां के प्री मैट्रिक छात्रावास की अधीक्षिका कलावती धुर्वे अपने साथ हास्टल की सात छात्राओं को कक्षा छठवीं में एडमिशन के लिए स्कूल ले गई थीं। उन्हें भी यही कहते हुए एडमिशन देने से इनकार कर दिया है कि छात्राएं लगातार क्लासों से अनुपस्थित रहती हैं। छात्राओं को एडमिशन नहीं देने की बात उन्होंने अपने विभगीय अधिकारी को बता दी है।
पठारी शासकीय आदिवासी बालक छात्रावास के अधीक्षक चंद्रमोहन साहू अपने साथ हास्टल के आदिवासी बच्चों को छठवीं में एडमिशन कराने के लिए जब शासकीय मिडिल स्कूल पठारी पहुंचे तो वे उस समय सन्न् रह गए जब गरीब आदिवासी बच्चों को ये कहकर एडमिशन नहीं दिया गया कि बच्चों की उपस्थिति कम रहती है, इससे स्कूल में परेशानी होती है। उन्होंने जब स्कूल के हेड मास्टर जगदीश श्रीवास्तव को इसकी शिकायत की तो उन्होंने भी यही जवाब दिया।
स्कूल से परेशान होकर वे अपने साथ एडमिशन के लिए ले गए 9-10 बच्चों को वापस ले आए और इसकी सूचना आदिम जाति विभाग के जिला संयोजक विवेक पांडे को दे दी। हास्टल अधीक्षक साहू का कहना है कि जब बच्चों को एडमिशन ही नहीं दिया जा रहा है तो स्कूल और हास्टल खोलने का कोई औचित्य ही नहीं है। वहीं इस संबंध में स्कूल के हेड मास्टर जगदीश श्रीवास्तव का कहना है कि बच्चों की अनुपस्थिति का खामियाजा उन्हें उठाना पड़ता है। बच्चे लगातार अनुपस्थित रहते हैं। इसलिए उन्हें एडमिशन नहीं दिया गया है।
दलित बेटियों को भी नहीं दिया प्रवेश
दूसरा मामला गुलाबगंज मिडिल स्कूल का है। यहां पर दलित वर्ग की छात्राओं को एडमिशन देने से इनकार कर दिया है। यहां के प्री मैट्रिक छात्रावास की अधीक्षिका कलावती धुर्वे अपने साथ हास्टल की सात छात्राओं को कक्षा छठवीं में एडमिशन के लिए स्कूल ले गई थीं। उन्हें भी यही कहते हुए एडमिशन देने से इनकार कर दिया है कि छात्राएं लगातार क्लासों से अनुपस्थित रहती हैं। छात्राओं को एडमिशन नहीं देने की बात उन्होंने अपने विभगीय अधिकारी को बता दी है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें
(
Atom
)
कोई टिप्पणी नहीं :
टिप्पणी पोस्ट करें