नई भू अधिग्रहण नीति के खिलाफ 14 महीने से धरने पर बैठे दलित किसान की मौत
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शुक्रवार, जुलाई 31, 2015
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नई भू अधिग्रहण नीति से मुआवजे की मांग को लेकर 14 माह से धरने पर बैठे एक दलित किसान की बुधवार (29/07/2015) को मौत हो गई। इस किसान के पास मात्र दो बीघा जमीन थी और उसका भी अधिग्रहण हो गया था। अब आस थी कि मुआवजा मिले। अब आक्रोशित किसानों ने ऐलान किया कि यह लड़ाई किसी सूरत में बंद नहीं होगी।
नई भू अधिग्रहण नीति से मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर शताब्दीनगर में किसानों का चार जून 2014 से धरना चल रहा है। किसानों ने ऐलान कर रखा है कि जब तक उनकी जमीन वापस नहीं कर दी जाती या नई नीति से मुआवजा नहीं दिया जाता, धरना जारी रहेगा।
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मृतक किशान शोभाराम |
भाकियू नेता विजयपाल घोपला, जगमाल, डा. अमरवीर आदि के मुताबिक कंचनपुर घोपला निवासी दलित किसान शोभाराम (70) 14 माह से यहीं धरने पर थे। बुधवार सुबह वह धरना स्थल से शौच के लिए गए और गश खाकर गिर पड़े। उन्हें उठाकर एक निजी चिकित्सक के यहां ले जाया गया, जहां शोभाराम को मृत घोषित कर दिया गया।
किसानों ने इसकी सूचना उनके परिजनों को दी। इसके बाद शव को घर ले जाया गया। शाम को शोभाराम का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
किसानों के मुताबिक शोभाराम के पांच पुत्र और एक पुत्री है। परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। हद तो यह रही कि कोई भी अधिकारी किसान की मौत की सूचना के बावजूद धरना स्थल तक नहीं पहुंचा। न ही किसान के घर जाकर सांत्वना दी।
किसानों ने ऐलान कर दिया कि धरना जारी रहेगा। किसान अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे। विजयपाल घोपला ने कहा कि शोभाराम के बलिदान को जाया नहीं होने देंगे। इस बाबत धरनास्थल पर देर शाम बैठक हुई, जिसमें किसानों ने एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया। इस मौके पर सुभाष घोपला, सुधीर रिझानी, उमेश कुमार, अमरवीर, चांद, लीलू आदि किसान मौजूद थे।
किसान नेता विजयपाल घोपला ने बताया कि डेढ़ माह पहले हमने प्रत्यावेदन दिया था कि हमारी जमीन वापस हो। अभी तक प्रशासन ने उसका कोई जवाब नहीं दिया है। न ही नई नीति से पैसा दे रहे हैं। ऐसे में धरना समाप्त होने वाला नहीं है। विडंबना यह है कि किसानों की मौत हो रही है और प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
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