दलित एवं आदिवाशियो को आरक्षण के पक्ष में कुछ तर्क
Indian
गुरुवार, जुलाई 23, 2015
आरक्षण के कारण
,
reasons for reservation
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reservation for dalits
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reservation for SC/ST
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मैं कई बार लोगो के मुंह से आरक्षण के विषय में या सुनता रहा हूँ दलितों के आरक्षण के कारण सवर्णों को नौकरी नहीं मिलती, आरक्षण गरीबी आधारित होना चाहिए ,ऐसी कई भ्रन्ति पूर्वक जानकारी समाज में फैलाई जा रही है। आप स्वयं कई सोशल साइट्स पर यह बात देख सकते हैं की आरक्षण को लेके कैसे गलत बाते फैलाई जा रही हैं। लोग आरक्षण को गरीबी से तुलना करने लग गए हैं । यह एक तरह से हकीकत पर पर्दा डाल ने की कोशिश की जा रही है ताकि लोगो में भ्रम फैले और तनाव बढे।
आप लोग एक उदहारण से समझिये-अब अगर संयुक्त राष्ट्र मे भारत के प्रतिनिधित्व के लिये एक पोस्ट निकलती है, तो इस बात फर्क नहीं पड़ता की भारत से चुना जाने वाला व्यक्ति अमीर है या गरीब।लेकिन उसका भारतीय होना सबसे जरूरी है।साथ ही ये भी समझने की कोशिश करें की संयुक्त राष्ट्र ने एक जॉब इसलिये नहीं निकाली थी की उसे किसी एक भारतीय की गरीबी इस जॉब से मिटानी है, बल्कि इसलिये निकाली ताकि कोई एक चुना हुआ व्यक्ति भारत की आवाज संयुक्त राष्ट्र मे रख सके......यही बात भारत मे आरक्षण के मामले मे है, अब महिला आरक्षण देना है, जरूरत इस बात की है वो महिला हो और महिलाओं का पक्ष रखने मे सक्षम हो.... एक आदमी को आप महिलाओं का प्रतिनिधि तो नहीं दे सकते। थी यही फंडा आरक्षण का भी है।
आरक्षण के वास्तिविक उद्देश्य
- आरक्षण का उद्देश्य ये कतई नहीं है की किसी समाज के हर व्यक्ति का कल्याण आरक्षण के ही मध्यम से होगा, बल्कि आरक्षण केवल उस वर्ग के लोगों को तरह तरह के क्षेत्रो मे प्रतिनिधित्व दिलाता है ताकि उस वर्ग के लोगों को जो भेदभाव उच्च वर्गीय कर्मियों द्वारा झेलने पड़ते हैं, उनमे कुछ कमी आ सके और वंचित वर्ग की भी आवाज़ सुनी जा सके। इसलिए आरक्षण आबादी के अनुपात मे मिलता है, ग़रीबी के नहीं।
- प्रतिनिधित्व कौन करेगा ये सवाल सामने होता है, नाकी नौकरी और रोज़गार किसे दिया जाए, ये नहीं... क्योंकि प्रतिनिधित्व से नौकरी और रोज़गार भी मिलता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है, तो ज़्यादातर बंधु आरक्षण को सिर्फ़ नौकरी, रोज़गार और ग़रीबी हटाने का साधन मान बैठे हैं, जो की ग़लत है.
- सरकार की अनेकों पॉलिसी इस हर वर्ग के ग़रीब के उत्थान के लिए चलाई जाती हैं क्योंकि ग़रीब हर जाति और धर्म मे हैं. बी पी एल कार्ड तो मात्र एक जानी पहचानी स्कीम है, इसके अलावा हज़ारो स्कीम चल चुकी हैं और सैंकड़ों चल रही हैं, पर उनका फ़ायदा नीचे तक पहुँचता ही नहीं, वो सब उपर वालों मे बंदर बाँट कर दिया जाता है.
- सबसे कमजोर या ग़रीब कैसे उठे, उसके लिए उन्हे ज़मीन के पट्टे, छात्रवृत्ति, फीस मे छूट, कोचिंग की सुविधा आदि प्रदान की गयीं हैं, लघु उद्योग आदि के लिए ऋण का भी प्रावधान है और भी बहुत सी सुविधाएँ हैं, जो फिर से उपर बैठे शोषक लोग खा जाते हैं या उन्हें गरीब दलितों तक पहुचंने ही नहीं देते।
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