झाँसी के इस गाँव में दलित कुए के पास भी नहीं जा सकते !!!
Indian
गुरुवार, जुलाई 16, 2015
Atrocities on Dalits
,
caste discrimination
,
crime against dalits in up
,
dalits not allowed on well
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देश की आजादी के करीब सात दशक बाद भी लोग छुआछूत की भावना से बाहर नहीं निकल पाए हैं। आज भी दलित समाज संविधान में दिए गए अधिकारों से वंचित है। उन्हें अपमान और अधीनता का सामना करना पड़ता है। इसका ताजा उदाहरण बुंदेलखंड में देखने को मिला है। यहां के दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां सवर्ण जाति के लोगों ने कुओं पर कब्जा कर रखा है। यही नहीं, दलित इसका इस्तेमाल करना तो दूर पानी को छू भी नहीं सकते हैं। ऐसे में उन्हें गंदा पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है।

सवर्ण जाति के लोगों ने किया कब्जा
बताया जा रहा है कि रोतन और चमराय टोला के लोग सालों से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। दोनों जगहों पर बने कुओं पर सवर्ण जाति के कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है। दलितों को यहां से पानी भरने की इजाजत नहीं है। ऐसे में दलित गांव से काफी दूरी पर स्थित एक गंदे कुएं का पानी पीने को मजबूर हैं। वहीं, इन दोनों दलित बस्तियों में करीब 500 की आबादी के बीच सिर्फ दो हैंडपंप हैं, वो भी गांव से बिल्कुल बाहर। अक्सर ये हैंडपंप खराब हो जाते हैं। इस वजह से दलितों को काफी परेशानी होती है।
बीमार पड़ जाते हैं ग्रामीण
चमराय गांव की शोभा बताती हैं कि पानी के कारण वह कई बार खुद को श्रापित महसूस करते हैं। गांव में हैंडपंप खराब रहता है। एक साफ-सुथरा कुआं है, लेकिन दलित इस कुएं से पानी भरने के लिए इसमें बाल्टी तक नहीं डाल सकते। सवर्ण जाति (ठाकुर) के लोग कहते हैं कि पानी अछूत हो जाएगा। इसलिए उन्हें कुएं के पास तक जाने की इजाजत नहीं है। वृद्ध ग्यासी ने बताया कि यह सिलसिला सालों से चला आ रहा है। लोग गांव से बाहर बने एक कुएं का पानी पीते हैं। गंदा पानी की वजह से कई दलित ग्रामीण बीमार भी पड़ जाते हैं।
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