आई.आई. टी परिक्षा पास करने बाले दलित भाइयों के लिए ग़रीबी के से बडी समस्या जातिबाद से लड़ना थी।
Indian
सोमवार, जून 22, 2015
dalit brothers from UP crack iit
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poor up brothers crack iit
,
raju and brijesh
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दो दलित भाइयों को उनके आईआईटी (IIT) में प्रवेश के सपने को साकार करने के लिए यह सिर्फ खराब वित्तीय परिस्थितियों ही नहीं बल्कि साथ में ग्रामीण की जातिवादी मानसिकता से भी लड़ना पड़ा है। जातिगत पूर्वाग्रह उस गाँव में इतने ज्यादा हैं के जब वो लोग रविवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर वे घर लौट लौट रहे थे तो उन के घर पर लोगो ने पत्थर भी मारे थे।
उनके घर पर पांच या छह पत्थर फेंके थे। अन्यथा ग्रामीण उन की अविश्वसनीय आईआईटी सफलता के बाद सुर्ख़ियों में आने के बाद विशेष रूप से उन लोगों के लिए अच्छे हो गए हैं।
गाँव के लोगो का बर्ताव हमेशा इस तरह से अच्छा नहीं था। जब दोनों भाइयो ने अध्ययन करने की हिम्मत की तो ऊँची जाति के ग्रामीणों दलित भाइयों का मजाक बनाते थे। उनको बताया जाता था की दलित होने की वजह से उन का कोई भविष्य नहीं है तथा उन्हें आगे के अध्ययन की जरूरत नहीं है। यहां तक कि उनके घर से जल निकासी की लाइन को भी कुछ ही हफ्ते पहले गाँव वालो ने काट दिया था। लेकिन आज उनके परिवार को ग्रामीणों अपना आदर्श मानने का दिखावा कर रहे है।
बृजेश ने जब पहली बार जवाहर नवोदय विद्यालय के लिए आवेदन किया गया था तब ऊँची जाती के ग्रामीणों का कहना था की वो कभी भी इस परीक्षा में पास नहीं होगा। सिर्फ यह पर्याप्त नहीं था जब बृजेश का रोल नंबर चयनित लोगों की सूची में दिखाई दिया तो एक पड़ोसी ने समाचार पत्र को फाड़ के दूर फेंक दिया था। ऊंची जाति के लोग हमेशा उन्हें वापस खींचने का प्रयास करते थे । प्रोत्साहन के शब्द शायद ही किसी ने कहे थे।
जब राजू ने एक साल बाद फॉर्म भरा था तो उस समय गाव से 40 अन्य बच्चों ने भी आवेदन किया था।लेकिन केवल राजू सफल हो पाया था। लोगो को यह बात हज़म नहीं हुई था तथा लोग ये तक बोलने लगे के इन के परिवार का कुछ स्रोत हैं जिस की वजह से राजू का दाखिला हो पाया।
नवोदय स्कूल में एडमिशन ने बृजेश के भविष्य की रूप-रेखा ही बदल दी थी । यह उनकी धाराप्रवाह अंग्रेजी और विनम्र वार्तालाप में साफ़ दिखाई देता हैं। नवोदय में प्रवेश से पहले दोनों लड़को की हमेशा दलित जाति से होने के लिए खिचाई होती थी। हमेशा ग्रामीणों, बस चालक और सह यात्रियों द्वारा उनकी जाति पूछा जाती थी । दो भाइयों के शहर में अध्ययन करने से ऊंची जाति के लोग इतना जलते थे की उन् के परिवार के बी.पी.एल (BPL ) कार्ड को रद्द करने की मांग करने लगे थे।
हरे राम यादव, प्राचार्य, विकास उच्तर माध्यमिक विद्यालय जो कुछ दिन पहले तक दोनों भाइयों को यह बोला करता था की उन्हें आईटीआई (ITI ) कर लेनी चाइये थी बह भी उनकी सफलता का श्रेय लेने में नहीं चूक रहा हैं।
दोनों भाइयो के दादा तो यह तक बोल रहे हैं की ये सारे लोग जो आज नाटक कर रहे हैं उन्होंने ने उन का शौचालय (टॉयलेट) जाने का रास्ता तक बंद कर रखा हैं। तथा ये लोग आये दिन धमकी देते रहते हैं।
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